लघुकथा किसी गरीब के मासिक बजट की तरह होती है ! : योगराज प्रभाकर

“तथाकथित संपादक ऐसे हैं जो लघुकथा और लघु कहानी का फर्क नहीं समझते l साथ ही साथ लघुकथा के मर्म से परिचित नहीं होने के कारण स्तरहीन लघुकथाएं प्रकाशित कर देते हैं,जो विधा के विकास के लिए ठीक नहीं। ” उपरोक्त विचार पटना ( बिहार) के तर्पण समाचार पत्र के साहित्य संपादक और लघुकथा मर्मज्ञ सिद्धेश्वर ने श्री कमलचंद वर्मा स्मृति मासिक लघुकथा वाचन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में व्यक्त किया l
विशिष्ट अतिथि प्रो.(डॉ.) योगेंद्र नाथ शुक्ल(ख्यात लेखक) ने कहा कि- “कविता से आमजन का मोह भंग हो गया इसलिए लघुकथा ही आज समाज में क्रांति लाने की शक्ति रखती है। अति बौद्धिकता या क्लिष्ट शिल्प से लघुकथा कहीं कविता की तरह आमजन से दूर ना हो जाए, इसका ध्यान रखकर प्रयोग किए जाने चाहिए।
लघुकथा पर सार्थक बहस चल रही इस गोष्ठी के मुख्य अतिथि ख्यात लेखक एवं लघुकथा कलश के संपादक योगराज प्रभाकर ने कहा- “लघुकथा किसी गरीब के मासिक बजट की तरह होती है, जितना सोच समझकर जैसे वह उसे बनाता है, ठीक वैसे ही शब्दों का चयन लघुकथाकार को करना चाहिए। अपनी एक लघुकथा सुना कर आपने पंच लाइन का महत्व समझाया।”
मुख्य समीक्षक श्री संदीप ने पढ़ी गई लघुकथाओं की बारीकी से समीक्षा करते हुए कहा कि शब्दों के अनावश्यक प्रयोग के कारण लघुकथा का प्रभाव कम हो जाता है। इसी करण अनेक लेखकों की रचनाएं श्रेष्ठता तक पहुंचते – पहुंचने रुक जाती हैं।” जबकि अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में अजय वर्मा ने कहा कि आज यह ऑनलाइन लघुकथा संगोष्ठी इसलिए भी ऐतिहासिक बन पड़ी है कि मंच पर अतिथि के रूप में देश के कीर्तिमान लघुकथाकार उपस्थित है और उनका सानिध्य हमें प्राप्त है l और लघुकथा के ऐसे समर्पित व्यक्तित्व के कारण ही, लघुकथा विधा , इस मुकाम तक आ पहुंची है l
इस ऑनलाइन संगोष्ठी में, देश के कोने कोने के प्रतिष्ठित लघुकथाकारों ने रचना पाठ किया, और उन लघुकथाओं पर समीक्षात्मक टिप्पणी भी दी गई l लघुकथा पाठ करने वालों में रेणु गुप्ता ने शस्यश्यामला, निवेदिता श्रीवास्तव निधि ने स्लिपडिस्क, निर्मला कर्ण ने लक्ष्मण अब भी है, सिद्धेश्वर ने प्रकाशन का सुख, मधु मिश्रा ने संरचना, मधु पांडे ने किराए की कोख, चंद्रा सायता ने जिंदगी और समय, अनिल कुमार जैन ने पैमाना और सपना साहू ने रंग अल्हाद नामक लघुकथा का वाचन किया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वरिष्ठ लघुकथाकार ‘लघुकथा कलश’ (पटियाला) के संपादक योगराज प्रभाकर, विशेष अतिथि के रूप में साप्ताहिक अखबार तर्पण (पटना) के साहित्य संपादक सिद्धेश्वर एवम् वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ.(प्रो.)योगेंद्रनाथ शुक्ल(इंदौर) और कार्यक्रम के समीक्षक दिल्ली से संदीप तोमर रहे, जिनकी समीक्षा का रचनाकार साथियों ने सहर्ष स्वागत किया।
श्रोताओं में भुवनेश दशोत्तर,सुधाकर मिश्रा,आरती चित्तौड़ा,सुधा गुप्ता,अमिता मराठे,सुनीता मिश्रा,सरिता बघेला,कुमुद दुबे,प्रेरणा एस.तिवारी,विजय सिंह चौहान,अर्चना रॉय,कल्याणी झा,सरला मेहता,संजय आरजू,अर्चना लवानिया और काफी संख्या में रचनाकार पाठकों ने अपनी उपस्थिति देकर इस ऐतिहासिक कार्यक्रम को यादगार बना दिया । पूरी संगोष्ठी की सशक्त संचालन निशा भास्कर, शब्द स्वागत सुधाकर मिश्रा और आभार सोनाली खरे ने किया।
सोशल मीडिया पर इस तरह की सार्थक और सर व्यापक संगोठी का स्वागत होना ही चाहिए, जिसके माध्यम से न सिर्फ नए रचनाकारों को कुछ सीखने का अवसर प्रदान होता है बल्कि नए पुराने रचनाकारों के बीच यह पाठशाला का काम भी करता है l इसके साथ ही साहित्य की इस महत्वपूर्ण विधा को एक सार्थक दिशा भी प्रदान करता है l

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