” पटना ! 19/11/24 l कहानी के संदर्भ में कहा गया है कि कहानियों का महत्व इस बात से है कि वह हमारे जीवन को अर्थपूर्ण बनाती है l कहानी सामाजिक विसंगतियां पर प्रहार करते हुए समाज को एक नई दिशा देती है l जयंत की कहानी ” आजादी के पहले का आदमी “, बेहद रोचक और छोटी कहानी है l जयंत जी की कहानी की विशेषता है कि कम शब्दों में बड़ी बात कह जाती है l जयंत की इस कहानी में आज और पहले के लोगों की मानसिकता पर गहरा प्रहार किया गया है l गांधी जी सामाजिक चेतना के अग्रदूत हो सकते हैं, लेकिन राष्ट्र के प्रहरी नहीं ! मगर क्यों ? आज के समय में जब लोग लंबी कहानी पढ़ना नहीं चाहते हैं, जयंत की लिखी कहानी अधिक प्रासंगिक नजर आती हैं l कम शब्दों में बड़ी बात कहना जयंत और गीता चौबे गूंज की कहानी की विशेषता है l
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वधान में , गूगल मीट के माध्यम से ,फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर ऑनलाइन हेलो फेसबुक कथा सम्मेलन का संचालन करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने,उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया l
ऑनलाइन कथा सम्मेलन के अध्यक्ष वरिष्ठ कथा लेखिका गीता चौबे गूंज ने समीक्षात्मक टिप्पणी प्रस्तुत करते हुए कहा कि अवसर साहित्य यात्रा का कार्यक्रम ‘हैलो फेसबुक कथा सम्मेलन’ अत्यंत ही सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इसके संयोजक श्री सिद्धेश्वर जी हैं जो स्थापित रचनाकारों के साथ-साथ नवोदित रचनाकारों को साथ लेकर चलते हैं। यह एक बहुत बड़ी बात है। आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं अध्यक्ष सहित कुल सात कहानियाँ पढ़ी गयीं, जिनमें विविध विषयों को उकेरा गया था।

नियमानुसार कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री जयंत कुमार जी से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। उनकी कहानी ‘आजादी से पहले का आदमी’ में गाँधीजी की मूर्ति को उनके निर्धारित स्थान से हटाए जाने के कारण चल रहे वाकयुद्ध पर उपस्थित लोगों के भावनाओं की सरगर्मी का चित्रण किया गया l तो आज की अध्यक्ष गीता चौबे गूँज की कहानी ‘एक और धृतराष्ट्र’ में पुत्र-मोह ने अपने ही भाई के अस्तित्व को नकार दिया।
अनिता रश्मि जी की कहानी ‘शहनाई’ जो अपने सकारात्मक अंत के साथ शहनाई की मधुर धुन को फिर से रागों को नृत्य करने को प्रेरित करती है। दिव्यांजलि सोनी जी की छोटी कहानी ‘अप्रत्याशित’ अमीरी-गरीबी के तथाकथित भेदभाव को सामने रखती है। पुष्पा पांडेय जी की कहानी ‘प्रायश्चित’ रिश्तों को जोड़ने की बात करती है। सपना चंद्रा जी ने अपनी कहानी ‘बड़ी बी’ में एक अनाथ को सहारा देकर उसे अपना बनाने का संदेश दिया है। वहीं डॉ अनुज प्रभात जी की कहानी, प्रस्ताव’ ने दहेजप्रथा और विवाह में दिखावे के नाम पर फिजूलखर्ची से बचने की सलाह दी। आज के इस महत्वपूर्ण और यादगार कार्यक्रम में मुझे अध्यक्ष का दायित्व सौंपने के लिए श्री सिद्धेश्वर जी का हार्दिक आभार प्रकट करती हूँ।
विजयाकुमारी मौर्य ने कहा कि आज के दौर की जीवंत कहानी सुनने को मिली l सुनील कुमार उपाध्याय के अनुसार भावपूर्ण कहानी व काव्यात्मक शैली के कारण ऑनलाइन पढ़ी गई सभी कहानियां प्रभावित करती है l ऋचा वर्मा एवं राज प्रिया रानी ने कहा कि पढ़ने से अधिक रुचिकर लगी आज इस कार्यक्रम सुनी जा रही कहानियाँ l नलिनी श्रीवास्तव एवं सेवा सदन प्रसाद के अनुसार इस ऑनलाइन कथा सम्मेलन में पढ़ी गई कहानी समयगत सच्चाईयों को प्रकट करती है l
कार्यक्रम का समापन प्रभारी डॉ अनुज प्रभात के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ l
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ लेखिका अनिता रश्मि ने कहा कि
” यह बहुत बड़ी बात है कि जयंत जी इतने दिनों से लिख रहे हैं। उन्होंने इतनी अधिक कहानियाँ रचीं। उन्होंने साध लिया भाषा को, शैली को। लघुकथा के पारूप में है यह कहानी। कम शब्दों में अधिक कहती है।
गाँधी जी के प्रति उस जमाने में भी दो तरह की भावनाएँ थीं। कुछ अंधभक्त थे तो कुछ विरोधी। अभी विरोधी ज्यादा हो गए हैं। आजकल के लोग उस पर सोचते हैं कि बिना खड़ग बिना ढाल मिली आजादी, तब शहीद भगत सिंह, आजाद कहाँ हैं।
गाँधी विरोध फैशन की तरह भी आया है।
पर पहले के लोग अब भी समर्थक हैं।
सैनिक भी प्रतिष्ठित होते हैं. अतः कहानी में सैनिक की मूर्तियों की जगह किसी और की मूर्तियों की बात होनी चाहिए थी।
तब भी अब के लोग सोचत हैं कि शहीद भगत हि गाँधीजी कई प्रतिष्टित करने के लिए लिखी गई है। लेकिन सैनिक के महत्व को कम नहीं कर सकते हैं।
गीता चौबे गूंज की कहानी संयुक्त परिवार और रिश्ते की टूटन पर लिखी गई है।आज का यह भयंकर सत्य है। इसका भयंकर दुष्परिणाम आगे नजर आएगा। यह आज की स्थिति नहीं है, बहुत पहले ले चला आ रहा है। शहरी नौकरीपेशा को घर के लोग दुधारू गाय समझ लेते रहे हैं। इसमें रामायण और महाभारत दो युगों को शामिल किया गया है।यथार्थवादी, अच्छी कहानी। शीर्षक सटीक है।
[] प्रस्तुति : बीना गुप्ता [ जनसंपर्क अधिकारी : भारतीय युवा साहित्यकार परिषद, ] मोबाइल 9234 760365

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