बिन्देश्वर प्रसाद गुप्ता 


 हे    माता   !     सरस्वती ।
 मैं      उतारूँ      आरती ।।
 मुझे    अपने    शरण   में ।
 ले     लो ,    माँ   भारती ।।

 हे     वीणा     वरदायिनी ।
 हे    माँ  ! मुझे   वर  दें ।।
 सब  की   आँखों में ,  बसूँ ।
 ऐसा  ही   कुछ   कर  दें ।।

 हे   माँ !       हँसवाहिनी ।
 विद्या     की     स्वामिनी ।।
 दूर      रहें , आप    सदा ।
 जो    रहें  ,  अभिमानिनी ।।

 हे   माँ !     वैभवशालिनी ।
 वीणापाणि  ,     पद्मासिनी ।।
 सहज   बना   सरस  बना ।
 हे   माँ  !    जीवनदायिनी ।।

 करुणा     का    रस   बहा ।
 मानव   में  ,    यश    बहा ।।
 विश्वयुद्ध      को        मिटा ।
 शांति  की    सरिता    बहा ।।

 हे  माता !        सुभाषिनी ।
 शत- शत.   नमन    सुहा
 कामना     पूरी        करें ।
 हे    माँ  !      ज्ञानदायिनी ।।

                                  - बिन्देश्वर प्रसाद गुप्ता 

पटना (बिहार )

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