कथ्य एवं शिल्प के कारण गजल के अपेक्षा आजाद गजलें आज अधिक पसंद की जा रही है!: एस के कपूर ‘श्री हंस ‘
पटना : 09/12/24 l ! समकालीन कविता बहुत तेजी से बदल रही है l छँद में लिखी जा रही कविता जब मुक्त छंद शैली में सामने आई, तब पाठकों ने इसका भरपूर स्वागत किया l
लेकिन मुक्तछंद को आसान कविता समझने वाले ढेर सारे कवियों ने जब कविता को गद्य के रूप में सपाट लिखने लगे, यानि मुक्त छंद कविता जैसे ही सपाट बयानी हो गई, पाठक कविता से भागने लगे l ऐसी बे सिर पैर वाली बोझिल कविताएं, सिर्फ कवियों के बीच ही घिरकर रह गई, और इसके आम पाठक बहुत ही कम रह गए l ऐसी विकट स्थिति में, ढेर सारे युवा समकालीन कवियों ने, जिन्हें छँद का अच्छा ज्ञान नहीं भी है, वे तुकबंदी करने लगे, ताकि आम पाठक धीरे-धीरे उनकी ओर खींचता चला आए l और फिर आरंभ हो गई , गीत नवगीत के बीच , कुछ मात्राओं की कमी बेसी के साथ, रागत्मक कविताएं l हिंदी गजल के बीच, पर आने लगी आजाद गजलें और नज्म l सच पूछिए तो ऐसे नए पुराने कवियों ने ही, कविता से भाग रहे पाठकों को रुकने थमने के लिए मजबूर कर दिया l बहुत तो नहीं लेकिन कुछ ऐसी कविताएं लिखी जाने लगी है, जो कहीं ना कहीं से हमारे हृदय को स्पर्श करती है l समीक्षको आलोचकों के द्वारा, उपेक्षित और तिरस्कार किए जाने के बावजूद, ऐसी कविताएं ही मंचों पर वाहवाही लूट रही है, इस बात से कोई इनकार कर सकता है क्या?
ऐसे कवियों के बीच ही,युवा कवयित्री गार्गी राय, जो मुलत :गद्यकार है, ढेर सारी पठनीय कविताएं लिख डाली! अपने शब्दों में कहने लगी – घूम आई तेरा शहर /तेरे बिना एक अजनबी बनकर हर गली में थाम कर /तुझे /ढूंढती इधर-उधर /मिलती तू मैं जाऊं जिधर!
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में, गूगल मीट के माध्यम से, फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर, हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन का संचालन करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया l उन्होंने कहा कि हम यह नहीं कहते कि गीत ग़ज़ल की उपयोगिता अब खत्म हो गई है l हम बस इतना कहते हैं की गद्य या सपाट बयान से लिखने से बेहतर है आजाद गजल आजाद गीत या नज़्म लिखना l काव्य सृजन में बिना लाग लपेट किए, शब्दों का बेहतर जामा पहनती है युवा लेखिका गार्गी राय l तभी तो उनकी काव्य पंक्तियां हृदय को छू जाती है, जब वह कहती है कि-
कोई कहता है सीधी हूँ /कोई कहता निरा मूरख हूँ मैं/कहते कुछ पगली है तू / दुनियादारी नही आती तुझे / //हतप्रभ हूँ मैं /मेरी सजन्नता ही मेरी /बुराई बन गई !
अपने अध्यक्षीय टिप्पणी में विख्यात कवि एवं साहित्यिक- सामाजिक सेवक बरेली के एस के कपूर श्री हंस ने कहा कि ” हेलो फेसबुक ऑन लाइन काव्य गोष्ठी कार्यक्रम का प्रत्येक सप्ताह होना आदरणीय सिद्धेश्वर जी पटना की एक बड़ी उपलब्धि है।विभिन्न विधाओं में कवि और कवियत्री की प्रस्तुति अति सुन्दर प्रभावकारी प्रयास है।आज गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए बड़े अच्छे अनुभव हुए।मेरी शुभकामना है कि हिंदी संवर्द्धन के लिए आपका यह कार्यक्रम सदैव गतिशील रहे। उन्होंने कहा कि आज गजल की जमीन पर गजल भले नहीं लिखी जा रही है किंतु ऐसी आजाद गजलें विषय वस्तु ,तथ्य ,शिल्प के कारण वह मंचों पर अधिक पसंद की जा रही है और इसके आम पाठक भी अधिक है l
इस ऑनलाइन कवि सम्मेलन में पढ़ी गई कविताओं पर समीक्षात्मक टिप्पणी करते हुए मुख्य अतिथि युवा लेखिका गार्गी रॉय ने कहा कि – गद्य लिखने वाली मैं आज कविता लिख रही हूं सिद्धेश्वर जी की प्रेरणा से l विविध विधाओं पर उनका कार्यक्रम मुझे उत्साहित और प्रोत्साहित करता रहा हैl और इसी का परिणाम है कि आज मैं कविता भी लिखने लगी हूं l मेरी रचनाएँ मूलतः स्त्री-विमर्श पर आधारित थी जिसने सभी स्त्रियों के मन को छुआ ।अध्यक्ष कपूर जी सभी रचनाएँ छोटी होने के साथ-साथ एक संदेश और प्रेरणादायी रहती है l आदरणीय सिद्धेश्वर जी के सशक्त संचालन में,बहुत शानदार कार्यक्रम था, जिसमे ग़ज़ल,शेर,कविताओं के साथ-साथ भोजपुरी गीत की गंगा बही ।
हेलो फेसबुक कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि गार्गी राय ने लगभग एक दर्जन अपनी चुनिंदा कविताओं का पाठ किया lऑनलाइन काव्य पाठ करने वाले कवियों में प्रमुख थे सर्वश्री एसके कपूर श्री हंस , गार्गी राय, ऋचा वर्मा, राज प्रिया रानी ,अपूर्व कुमार सिद्धेश्वर ,दिव्यांजलि सुरेश, शंकर सिंह, विजय कुमारी मौर्या ,संतोष मालवीय, पुष्पा पांडे ,पुष्प रंजन आदि l पढ़ी गई कविताओं पर अपूर्व कुमार एवं ऋचा वर्मा ने अपनी संक्षिप्त टिप्पणी भी प्रस्तुत की l लगभग 2 घंटे तक चली इस कार्यक्रम का समापन हुआ राज प्रिया रानी के द्वारा दी गई धन्यवाद ज्ञापन से l
प्रस्तुति : बीना गुप्ता जन संपर्क पदाधिकारी /भारतीय युवा साहित्यकार परिषद / पटना / बिहार / मोबाइल 9 2 3 4 7 6 0 3 6 5
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