अंतरात्मा की आवाज होती है चित्रकला!: अनिल रश्मि
पटना : 17/12/24 l युवा कलाकार प्रियदर्शनी बचपन से ही संगीत के प्रति समर्पित रही हैं l उनमें संगीत को ऑब्ज़र्व करने की क्षमता बचपन से ही थीं। वे सभी चीज़ों को ध्यान से देखा करती थीं और उसकी बारीकी को समझने का प्रयास करती थीं। अपने इसी ऑब्जरवेशन की प्रवृत्ति के फलस्वरूप कोरोना काल में प्रियदर्शनी जी ने बिहार की गायकी यानि शास्त्रीय गायकी में अपना हाथ आजमाना शुरू किया। जब भी किसी संगीत कार्यक्रम में जाने का मौका मिला वे अपने लोक गायन के द्वारा तमाम दर्शकों को प्रभावित करती रहीं l यही कारण है कि बिहार एवं उत्तर प्रदेश के कई प्रांतों में लोकगीत भजन आदि गायन करने का इन्हें अवसर प्राप्त होता रहा है l संगीत के साथ साथ नृत्य के प्रति असीम आस्था रखतीं है प्रियदर्शनी l जादुई आवाज की मल्लिका हैं प्रियदर्शनी!
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वावधान में, फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर , हेलो फेसबुक कला एवं संगीत सम्मेलन का संचालन एवं अध्यक्षता करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया l
अपने अध्यक्षीय टिप्पणी में साहित्यकार एवं कलाकार अनिल रश्मि ने कहा कि इस पटल पर हर बार एक युवा एवं नवोदित साहित्यकारों, कलाकारों को मैं स्थान देते देखा हूं l इसी श्रृंखला में आज इस पटल पर हमने प्रस्तुत किया है बिहार की गायिका एवं नृत्यांगना प्रियदर्शनी रेणु को l
इस ऑनलाइन सम्मेलन की मुख्य अतिथि युवा कलाकार प्रियदर्शनी ने अपने दो गीतों एवं पांच भजनों का मधुर कंठ से गायन किया एवं उनके नृत्य का वीडियो प्रस्तुत किया गयाl
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में अनिल रश्मि ने कहा कि संगीत शाश्वत ईश्वर है I यह साधना से ही किसी को प्राप्त हो सकती है I धैर्य जरूरी है सीखने के लिए I आज की युवा पीढ़ी में धैर्य का आभाव है I
वह शॉर्टकट अपना कर आगे बढ़ना चाहते हैं….. बढ़ सकते हैं…लेकिन स्थायी समय तक नहीं चल सकते I
तानसेन, भीमसेन जोशी, लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी मन्ना डे जैसे कई फनकार साधना की बदौलत आज कई पीढ़ियों के बीच प्रसंशनीय हैं…रहेंगे I सीखने की प्रक्रिया कभी खत्म नहीं होती l जितना साधेंगे.. उतना ही आगे बढ़ेंगे I जहां तक चित्रकला की बात है,अंतरात्मा की आवाज है ,जिसे हम आत्मसात करते हैं और कूची के माध्यम से कैनवास पर उतारते हैं l चित्रकला सत्य का प्रतीक है I दिल जितना साफ होगा…अनुकृति उतनी ही अच्छी होगी… देखकर आप तृप्त हो जाएंगे I लेकिन इसके लिए गुरु का सानिध्य होना अनिवार्य है और आपका उनके प्रति समर्पण आत्मीय होना जरूरी है I
मुख्य अतिथि प्रियदर्शनी ने कार्यक्रम के आरंभ में कहा कि – भारतीय युवा साहित्यकार परिषद एवं संयोजक अध्यक्ष आदरणीय सिद्धेश्वर जी का हार्दिक आभार, जिन्होंने मुझे आज हेलो फेसबुक एवं चित्रकला सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया। सिद्धेश्वर जी बीते कई वर्षों से लगातार इस मंच को जीवंत रखे हुए हैं। इस मंच ने हमेशा युवाओं एवं नवोदित कलाकारों को प्रोत्साहित कर उन्हें आगे बढ़ाने का कार्य किया है। संस्था द्वारा लगातार साहित्य की विविध विधाओं की कार्यशालाएँ आयोजित की जाती रही है जिससे युवाओं और नयी प्रतिभाओं को उचित ज्ञान, अनुभव, मार्गदर्शन प्राप्त होता रहा है। संस्था द्वारा निरंतर ऑनलाइन संगीत और चित्रकला प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जाता रहा है जिससे नयी प्रतिभाओं को सीखने का वृहद अवसर प्राप्त होता है। कई विद्वानों ने इस बात को स्पष्ट किया है कि भारतीय संगीत गायन, वादन तथा नृत्य इन तीनों कलाओं से मिलकर बना है, इसमें सुर, लय, तथा ताल के साथ ही सौन्दर्यता तथा बंदिश के भाव, भाषा का भी अत्यंत महत्व है। प्राचीन इतिहास में मूर्तिकला एवं नृत्य कला के इन प्रमाणों से सिद्ध होता है कि मूर्तियों की भाव भंगिमाओं तथा उनके द्वारा धारण किये गये वाद्य संगीत के अस्तित्व तथा स्थापित होने के प्रमाण है। यह कहना सर्वथा उचित होगा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत जैसे प्राचीन मंदिरों तथा धार्मिक ग्रंथो के साथ ही भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का वर्णन, देशी प्रान्तीय लोक संगीत में जिस प्रकार उल्लेखित है, उसी प्रकार मंदिरो तथा धार्मिक स्थलों पर भगवान श्री कृष्ण एवं राधा की मूर्तियों का अत्यंत सुंदर तथा आकर्षक चित्रण मंदिर की दीवारों तथा धार्मिक स्थलों पर बनाये हुए मिलते है। अर्थात संगीत और चित्रकला के स्थापित होने का समय, साथ-साथ ही होगा। संगीत विषय में कलाकार मनोवृत्ति से चित्र पटल पर अपनी कला की अभिव्यक्ति करता है l
इस पटल पर सत्येंद्र संगीत ने भावपूर्ण ग़ज़ल प्रस्तुत किया तो दूसरी तरफ स्मृति गुप्ता, मुकेश कुमार ने भी अपनी शास्त्रीय संगीत से लोगों का मन मोह लिया l फिल्मी गीतों पर अभिनय करने में राज प्रिया रानी एवं सिद्धेश्वर की अभूतपूर्ण भागीदारी रही l इसके साथ ही साथ लगभग 50 से अधिक कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया, जिनमें मिथिलेश कुमार,विज्ञान व्रत, अनुभूति गुप्ता ,पूनम श्रेयसी, मंजू गुप्ता और सिद्धेश्वर की कलाकृतियां अधिक पसंद की गई l
इसके अतिरिक्त सुनील कुमार उपाध्याय ए. आशा शैली, चंद्रशेखर, विजया कुमारी मौर्या ,शैलजा, बीना गुप्ता ,शंकर सिंह, एकलव्य केसरी आदि ने भी अपनी भूमिका का निर्वाह किया l
प्रस्तुति : बीना गुप्ता जनसंपर्क पदाधिकारी /भारतीय युवा साहित्यकार परिषद / पटना/ बिहार
मोबाइल 9 2 3 4 7 6 0 3 6 5
Email :beenasidhesh@gmail.com