जीनाचाहताहूंमरनेकेबाद फाउंडेशनएकभारत के तत्वावधान में उच्चस्तरीय कविगोष्ठी हुई। ऐसा सुंदर साहित्य समागम विरले ही देखने को मिलता है। इस काव्य यज्ञ में आहुति दे रहे थे – बैंगलोर के मशहूर शायर श्री प्रेम तन्मय, श्री कमल राजपूत, श्रीमती इंदु झुनझुनवाला, श्रीमती सुचित्रा कौल मिश्रा, श्री जगमोहन मिश्रा, श्रीमती ऊषा श्रीवास्तव, श्री श्रीवास्तव, श्री नंदलाल सारस्वत, श्रीमती अरुणा राणा, श्रीमती पूजा राज एवं अतिविशिष्ट संचालन की बागडोर श्री कुं.प्रबल प्रताप सिंह राणा जी ने संभाला। ये सभी साहित्य संवर्धन एवं स्थापन में,समय की इस धूरि के अतिश्रेष्ठ नाम,किसी परिचय के आश्रित नहीं हैं।सबसे अलग और अनूठी बात यह है कि सभी अपने व्यवसाय,आध्यात्म एवं शिक्षण के क्षेत्र में भी सर्वोत्तम हैं। आप सभी विदेशों में जाकर भी अपने साहित्य, संस्कृति एवं हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में पूर्णरूपेण समर्पित है। डॉ राशदादा ये मानते हैं कि आप सभी विशिष्ट व्यक्तित्व का पूर्ण स्नेह और सानिध्य उन्हें मिलता रहा है,जो उनकी ऊर्जा के केन्द्र बिन्दु हैं।दादा ने कहा कि इस अद्भुत काव्य संध्या की अभूतपूर्व सफलता के लिए उपस्थित सभी विदुषी मनीषियों का आभारी हूं एवं भारत और भारतीयता का प्रेम गंग बहता रहे।इस पावन अवसर पर मीरा मां को नम आंखों से,साहित्य सेवा में उनकी निष्ठा को याद किया गया। विशेष यह कि मीरा मां की याद में बिहार,पटना, चित्रगुप्त मार्ग, वेदांत में दादा के द्वारा साहित्य की निःशुल्क सेवा में एक परिसर का निर्माण कर मां मीराकाव्यांगन के नामांकरण एवं इसके उद्देश्य की मुक्त कंठ प्रशंसा की गई। विशेष रूप से इस काव्य संध्या पर सभी विद्वानों ने समसामयिक विषयों पर अपनी सारगर्भित रचनाओं से सुसज्जित कर काव्य के अंबर पर समय की कलम से अविस्मरणीय गाथा लिख डाले। प्रस्तुति
दुर्गेश मोहन
बिहटा, पटना (बिहार)
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