राष्ट्र जागरण धर्म निभाएं
लोकतंत्र का पर्व मनाएं
जाति – धर्म की नीति नकारें
अच्छे प्रत्याशी को स्वीकारें
जो जन – गण – मन से दूर न हो
सत्ता के मद में चूर न हो
जनता मरने को मजबूर न हो
निज परिजन से,कोई दूर न हो
जो महिलाओं का मान बढ़ाए
जनहित में सर्वस्व लुटाए
जो शिक्षित और मृदुभाषी हो
जनहित का अभिलाषी हो
जो बातों का सच्चा हो
और वादों का पक्का हो
जो दे सबको शिक्षा और स्वास्थ्य
जनता को रक्खे सर माथ
जो किसान की कंगाली समझे
जो मजदूरों की बदहाली समझे
बेरोजगारों को छले न कोई
दलितों को दले न कोई
इतना तो रक्खे वह ध्यान
हो उसको राजनीति का ज्ञान
जो राष्ट्रवाद की अलख जगाए
ऐसा जनप्रतिनिधि हम लाएं
राष्ट्र जागरण धर्म निभाएं ।
लोकतंत्र का पर्व मनाएं ।।
रचनाकार – अनुराग सक्सेना
शहडोल (मध्यप्रदेश)