जिन भाव को शब्द नहीं मिलते उसे अपनी रेखाचित्र में उतारती है सपना चंद्रा !: रजनी श्रीवास्तव अनंता

       पटना : 08/05/23 ! पूरे देश में पहली बार हमने ऑनलाइन चित्रकला प्रदर्शनी लगाने का सार्थक पहल किया था l कोरोना काल में चलाया गया यह अभियान p pसार्थक हुआ कि  पूरे देश भर के कलाकार हमसे आ जुड़े l लखनऊ के आशीष, खंडवा की रुचि शर्मा बाजपेई आरा के कौशलेंद्र पांडे , राजस्थान के रशीद गौरी, भोपाल के संदीप राशिंकर,,नोएडा के विज्ञान व्रत, और  पटना की आर्यश्री  को इस मंच के माध्यम से विशेष उपलब्धि मिली l इसी क्रम में आज ऑनलाइन प्रदर्शनी आयोजित है भागलपुर की चर्चित  कवयित्री और युवा चित्रकार सपना चंद्रा की  l हालांकि उन्होंने कहीं से कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है l जन्मजात कलाकार के लिए यह जरूरी है भी नहीं l उन्होंने बहुत अधिक चित्र बनाए भी नहीं है l किंतु 40-50 बनाए गए अपने चित्रों में ही उनकी रेखाओं की जादू इस प्रकार बोलती है कि बिना शब्द वह सब कुछ बयां कर जाती है l चित्रकला  का प्रशिक्षण लिए बिना , कला के प्रति आस्था रखने वाली लेखिका  सपना चंद्रा  की कलाकृति देखकर आप दंग रह जाएंगे l
       भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में, फेसबुक के " अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका " के पेज पर, " हेलो फेसबुक संगीत एवं चित्रकला  सम्मेलन " के  संचालन के क्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए , सिद्धेश्वर ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किये l
     सपना चंद्रा के ऑनलाइन चित्रकला प्रदर्शनी की सराहना करते हुए  सिद्धेश्वर ने कहा कि --अपने एक चित्र में आंख के भीतर से बाहर निकलती हुई हाथों की अंगुलियां, अंतर्मन के भाव को बखूबी अभिव्यक्त करता है। किसी भी चित्र में चित्रकार के भीतर की भावना और कल्पना, अपने जीवन के यथार्थ के साथ संवाद करती हुई, विराट रूप में बहुत कुछ कहने का सामर्थ रखती है  l और यह खूबी सपना चंद्रा की कलाकृतियों में दिख पड़ती है l सपना चंद्रा एक सफल शायरा भी है l उनके बहुत सारे चित्रों में गजल के किरदार बोलते हुए दिख पड़ते हैं l रेखाओं का अद्भुत संयोजन है, जो उन्हें अपने समकालीन चित्रकारों से कुछ अलग ला खड़ा करता है  l
     हेलो फेसबुक संगीत चित्रकला सम्मेलन की मुख्य अतिथि सपना चंद्रा  ने कहा कि - सिद्धेश्वर जी द्वारा किया जा रहा संगीत और साहित्य के प्रति इस तरह का  अभिनव प्रयास काफी सराहनीय और सकारात्मक है lकलाओं में कला, श्रेष्‍ठ कला,पहली विकसित कला चित्रकला है, जिसमें मनुष्‍य स्‍वभाव से ही अनुकरण की प्रवृत्ति रखता है। जैसा देखता है उसी प्रकार अपने को ढालने का प्रयत्‍न करता है। यही उसकी आत्‍माभिव्‍यंजना है। उन्हीं   अमूर्त सोच और हमारी आशाओं, भय और सपने के साथ दुनिया के हमारे भौतिक अनुभवों को विलीन करता है। इन कारणों से चित्रकारी मुख्य रूप से महत्वपूर्ण है।चित्रकला दो शब्दों से मिलकर बनता है। चित्रकला अर्थात् वह कला जिसमें चित्र बनाए जाते हैं।  चित्रकला के माध्यम से मानव मन अपने  मनोभावों ,सपनों ,अनुभूतियों को प्रस्तुत करता है। हृदय की भावनाओं को रेखाओं दृश्य एवं प्रदर्शनकारी कला के विभिन्न रूप के माध्यम से प्रकट करके उन्हें रंगों द्वारा सुन्दर एवं सजीव बना देना हीं कला है। आन्तरिक भावनाओं व कल्पना की अभिव्यक्ति सुन्दर ढंग से करना विभिन्न प्रकार की कलाकृतियाँ बनाना और उनमें विभिन्न प्रकार के रंगो द्वारा तैयार करना हीं चित्रकला कहलाती है।
        पूरे कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध गायिका और लेखिका रजनी श्रीवास्तव अनंता ने कहा कि - सपना चंद्रा जी की कलाकृतियां इतनी मुखर है, कि मन को छू जाती हैं। जीवन के विभिन्न पहलूओं को उन्होंने अपनी कलाकृतियों में उजागर किया है। प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ मानवीय संवेदनाओं को उन्होंने अपनी कलाकृतियों का विषय बनाया है। ये एक प्रसिद्ध साहित्यकारा हैं और  जिन भावों को शब्द नहीं मिलते, उन्हें रेखाओं के द्वारा कह डालने की कला जानती हैl
 द्वितीय सत्र संगीत को समर्पित था l रजनी श्रीवास्तव अनंता के द्वारा गाई ग़ज़ल कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता से कार्यक्रम का आरंभ हुआ !  डॉ शरद नारायण खरे ने दर्पण को देखा तूने जब-जब किया श्रृंगार!/राजेंद्र नाथ ने - यह दिल ना होता बेचारा " गीत गाया, तो उस पर अभिनय किया सिद्धेश्वर ने! मुरारी मधुकर ने तुझे दीप कहूं या चंदा / पूनम श्रेयसी ने -आ जाओ तड़पते हैं अरमां / नीरज कुमार और उनकी पत्नी ने - ओ मेरे राजा, समझ गया मैं तेरा बहाना गीतों पर जबरदस्त जीवंत अभिनय किया ।
            इस कार्यक्रम में डॉ संतोष मालवीय,  ऋचा वर्मा, डॉ सुशील कुमार, राज प्रिया रानी, दुर्गेश मोहन,दिलीप, पुष्प रंजन, आदि की भी भागीदारी रही ।

-( प्रस्तुति: राज प्रिया रानी ( उपाध्यक्ष ) भारतीय युवा साहित्यकार परिषद, पटना मोबाइल 9234760365

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