पटना: 09 /10/ 24 ! पूरे देश में पहली बार ऑनलाइन चित्रकला प्रदर्शित करने वाला यह पहला मंच है, जिसके माध्यम से,नए पुराने रचनाकारों कलाकारों को एक साथ एक मंच देने का प्रयास किया गया है l कई नई प्रतिभाएं उभर कर सामने आईं भी हैं l चित्रकला के बारे में कहा गया है कि आधुनिक पेंटिंग को समझने के लिए हमें इसके तह में जाना पड़ेगा l लोगों के इस सवाल पर कि पेंटिंग क्या है और इसका कला से क्या संबंध है ? जवाब में कहा जा सकता है कि आधुनिक पेंटिंग का रूप, चित्रकार की दृष्टि के आधार पर भिन्न भिन्न होता है l आधुनिक चित्रकारों ने बनावट, प्रकाश और आयाम की नकल से बचने के लिए चित्रों में 3-आयामी वस्तुओं को जोड़ना भी शुरू कर दिया है।यद्यपि ये रूप केवल चित्रकला के माध्यम का वर्णन करते हैं, फिर भी चित्रकला पर चर्चा करते समय चित्रकला के कलात्मक रूप पर भी विचार किया जाना चाहिए l
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वधान में, व्हाट्सएप के अवसर साहित्य यात्रा के पेज पर ऑनलाइन अवसर साहित्य पाठशाला सह कार्यशाला के 52 वें एपिसोड में, संयोजक सिद्धेश्वर ने, संचालन के क्रम में उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया l उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि कई नए रचनाकार इस पाठशाला में शामिल हो रहे हैं और लाभ उठा रहे हैं l औऱ सोशल मीडिया पर लोकप्रिय हो रहा है हेलो फेसबुक चित्रकला प्रदर्शनी !”::

अवसर साहित्य यात्रा के व्हाट्सएप पेज पर, महीने के पहले सप्ताह में चित्रकला एवं संगीत सप्ताह के अंतर्गत,देशभर के रचनाकारों और कलाकार ने खुले दिल से अपनी अपनी संगीत तथा चित्रकला को प्रस्तुत किया और एक दूसरे की कृतियों को देखते हुए, इस पाठशाला सह कार्यशाला का रूप दिया l टिप्पणी और विचार विमर्श किया l हेलो फेसबुक संगीत एवं कला सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रमुख रचनाकार है सर्व श्री मिथिलेश कुमार, डॉ पूनम श्रेयसी, विज्ञान व्रत, प्रियदर्शनी , सिद्धेश्वर, सत्येंद्र संगीत , अनिल कुमार, मुरारी मधुकर, राज प्रिया रानी,सतीश चंद्र भगत, डॉ अनुज प्रभात, तेज नारायण राय, अनीता रश्मि, जयंत, अनिल कुमार झ आदि l
अपना विचार व्यक्त करते हुए डॉ अनीता रश्मि ने कहा कि साहित्य और कला सच में एक सिक्के के दो पहलू हैं.एक माला के दो सिरे। एक वृत्त में घूमते दो पहिये.कोई भी साहित्यकार ऐसा नहीं होगा, जिसने बचपन में रेखांकन, चित्रांकन नहीं किया हो. गाने तो बाथरूम में सयाने होने पर भी गा लेते हैं।प्रायः हर रचनाकार कलम से ही नहीं, कूची से भी लिखता रहा हैl स्वयं मैंने कूची चलाई, मूर्तियाँ बनाई.बहुत सारे लोगों की कला जीवन की आपा-धापी में खो गईं।ऐसे में इसे पुनः जीवित कर रहा है आपका यह मंच. खो गए को भी बचा रहा है।सिद्धहस्त कलाकारों की बात निराली है। उनकी खूबसूरत कलाकृतियाँ दांतों तले ऊँगली दबाने को मजबूर कर रही हैं। गायन के शौक को भी इस मंच पर महत्व मिलना एक कलाकार के मन और मंच की सार्थकता सिद्ध करती है lसाधुवाद इसके संयोजक सिद्धेस्वर जी को l मुरारी मधुकर ने कहा कि इस मंच की महत्ता और उपयोगिता का उल्लेख करते हुए आपने बहुत ही अच्छी, सच्ची और मनखुश करने वाली बातें लिखी हैं। निश्चाय ही, इस मंच से संबद्ध सभी साहित्यिक बन्धुओं की रचनाएं यथा– लघुकथा लेखन, कविता ,कहानी या किसी विषय पर विचार अभिव्यक्ति और रंगों एवं रेखाओं से कला प्रदर्शन बहुत ही मनमोहक होता हैl मैं भी यह मानता हूँ कि साहित्य, कला एवं गीत -संगीत जीवन के सबसे रोचक और प्रेरक पक्ष हैं ।गीत -ग़ज़ल का सृजन भी साहित्यकार ही करता है। फिल्मी गीतों को लिखने वाले शैलेंद्र, साहिर और अन्य जन बहुत ही लाजवाब थे।
संतोष मालवीय ने कहा कि इस मंच पर प्रस्तुत संगीत और कला के क्या अंदाज और क्या खूब दृष्टि है ! राज प्रिया रानी ने कहा कि वाकई , मन प्रफुल्लित हो उठता है कि सिद्धेश्वर जी जैसे कर्मठ,तपस्वी , निश्छल मन के निःस्वार्थ साहित्य सेवी के सानिध्य में हम अपनी लेखनी को समृद्ध कर रहे हैं जो हमें सतत साहित्य के शिखर तक ले चलने में प्रयासरत हैँ l
अवसर साहित्य पाठशाला में कला एवं संगीत सप्ताह की अध्यक्षता करते हुए डॉ पूनम श्रेयसी जी ने कहा कि इस सप्ताह चित्रकला प्रदर्शनी में सिद्देश्वर जी के अद्भुत पेंटिग्स देखने को मिली। ये वरिष्ठ साहित्यकार होने के साथ साथ प्रसिद्ध चित्रकार भी हैं। इनकी पेंटिग्स देश के प्रमुख पत्र पत्रिका में प्रकाशित होती रहती हैं। मिथिलेश जी की पेंटिंग्स में विषय की विविधता है। धर्म, पर्व -त्यौहार, मौसम, प्राकृतिक दृश्य , स्त्रियों के दैनिक क्रियाकलाप, फुर्सत के क्षण में अध्ययन करती , वाद्ययंत्र बजाती, प्राकृतिक दृश्य को निहारती , आपस में सुख-दुख बतियाती, बारिश में भी छाता लगा कर काम करती स्त्रियों के चित्राकंन , इन्होंने सटीक रंगों का चयन करके, विपरीत रंगों के उपयोग से चित्रों में गहराई और आयाम को स्पष्टता दिया है। अन्य संगीतमय प्रस्तुतियां भी बेहतर रही l
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[] प्रस्तुति : बीना गुप्ता [ जनसंपर्क अधिकारी : भारतीय युवा साहित्यकार परिषद, ]पटना! मोबाइल : 9234 760365 []

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