लघु पत्रिकाओं का अपना अलग इतिहास रहा है l लघु पत्रिकाओं को नए लेखकों की पाठशाला भी कहा गया है, क्योंकि यह लघु पत्रिका ही है, जो नई प्रतिभाओं के लेखन को प्रोत्साहित करने के लिए बिना किसी भेदभाव के सामान्य से लेकर श्रेष्ठ रचनाओं तक को अपने आंचल में समेटने का सार्थक प्रयास करती है l
कई लेखक तो अपने जीवन के अंतिम क्षण तक मुख्य धारा की पत्रिकाओं में प्रकाशित होने का सुख तक प्राप्त नहीं कर पाते यह सुख सुख और आत्म संतोष लघु पत्रिका प्रदान करती है l
इतना ही नहीं, बहुत सारे लेखक लघु पत्रिकाओं के माध्यम से ही मुख्य धारा की पत्रिकाओं तक पहुंचने में भी कामयाब हुए हैं l
यही कारण है कि मैंने आज से 40 साल पहले अपनी संस्था के माध्यम से पूरे देश में पहली बार अखिल भारतीय लघु पत्रिका प्रदर्शनी का आयोजन किया था, जो देश भर में चर्चित रही और आगे कई स्थानों पर इसका आयोजन होता रहा l
🔷 मुद्रित लघु पत्रिकाओं का अपना अलग स्थान है, लेकिन डाक विभाग की लचर प्रणाली ने, और दिनानुदिन मँहगी होती पत्रिकाओं ने पाठकों को ई – पत्रिका की ओर आकर्षित किया है l
लेकिन ई – पत्रिकाओं में भी वही पत्रिका आज पढ़ी जा रही है, जिसमें लंबी-लंबी रचनाओं की अपेक्षा छोटी-छोटी कविताएं , विचार और लघुकथाएं प्रकाशित होती हैंl ऐसी ई – पत्रिकाएं पूर्णत: अव्यावसायिक होती हैं l
ई – पत्रिका की एक खासियत यह भी है कि जब पूरी साज – सज्जा के साथ यह पत्रिका नई नवेली दुल्हन की तरह हमारे सामने उपस्थित होती है, तब हम किसी कल्पनालोक में विचरण कर रहे होते हैं । ऐसी नयनाभिराम पत्रिका में प्रकाशित होने का सुख ही अलग होता है l लोग इस पत्रिका के पन्ने की कटिंग कर अपने-अपने फेसबुक तथा सोशल मीडिया पर चिपका देते हैं l इस प्रकार पत्रिका तो दूर-दूर तक पहुंचती ही है, रचनाकार की रचनाएं भी ढेर सारे पाठकों द्वारा पढ़ी जाती हैं l ई-पत्रिकाओं की इसी सफलता से परेशान होकर मुख्य धारा की कई पत्रिकाएं बंद हो रही हैं, क्योंकि उनके अधिकांश पाठक आज बाजार से गायब हैं l
यदि ऐसी पत्रिकाओं में 50% रचनाएं भी हमारे हृदय को छू जाती हैं तो वह सोशल मीडिया में छाए हुए पाठकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाती हैं l इस तरह की ई – पत्रिकाओं में ही एक सफल और सार्थक पत्रिका प्रकाशित हो रही है पंजाब से, जिसका नाम है ” स्वाभिमान ” l इस पत्रिका की संस्थापिका और संपादिका हैं डॉ. जसप्रीत कौर प्रीत, जो स्वयं भी एक संवेदनशील कवयित्री हैं, जिसके कारण इस पत्रिका में बहुत ही हृदयस्पर्शी कविताओं को स्थान दिया जा रहा है l
इस पत्रिका को खूबसूरत बनाने में सह संपादक नरेश कुमार आष्टा बहुत ही परिश्रम करते हैं l उनके परिश्रम के कारण ही यह पत्रिका बहुत ही खूबसूरत नजर आती है l इस पत्रिका के मुख्य पृष्ठ पर नियमित रूप से वरिष्ठ चित्रकार और कवि सिद्धेश्वर की कलाकृतियां प्रकाशित होती रही हैं, जिसे पाठकों ने काफी सराहा है l
आज मैं आपको इसी स्वाभिमान के नए अंक यानी सितंबर 2023 में प्रकाशित कुछ रचनाओं पर अपनी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया दे रहा हूँ l
वैसे तो इस अंक में सभी रचनाएं आकर्षित करती हैं, पठनीय हैं, किंतु कुछ गजल और लघुकथाएं हमारे हृदय में अपना स्थान बनाने में पूरी तरह कामयाब दीख पड़ती हैं l
विज्ञान व्रत की गजल ” पास रहो तुम ” और ” देखो ना ऐसे भी क्या गायब होना /मैं भी कब से बोल रहा हूं,तुम भी तो कुछ कहो न ” काफी सारगर्भित बन पड़ी है l रहमत अली की गजल ” दिलनशीं तुमसे प्यार कर बैठे, खुद को हम बेकरार कर बैठे ” तथा डॉ. जसप्रीत कौर प्रीत की हिंदी भाषा पर लिखी कविता ” प्यारी हिंदी किसी सुहागन के माथे पर जैसे शोभित बिंदी है /जन गण मन की अभिव्यक्ति की प्यारी भाषा हिंदी है ” काफी पसंद की जाने वाली रचना है l
मीनाक्षी की रचना हमें कुछ सोचने को मजबूर करती है, तो दूसरी तरफ राज प्रिया रानी की आजाद शायरी हृदय को स्पर्श करने में पूरी तरह कामयाब है -” बांध लो मुझको अपने जिगर से, नयन सूज चले तेरी फिक्र से l “
हरिनारायण सिंह, जागृति, रशीद गौरी,दीपिका अग्रवाल,डॉ.मेहता नागेंद्र सिंह, मोना चोपड़ा, बद्री प्रसाद वर्मा अनजान, डॉ. मंजू गुप्ता, दुर्गेश मोहन आदि की रचनाएं भी इस अंक की संग्रहणीय रचनाएँ हैं l एक बेहतर अंक देने के लिए संपादक बधाई के पात्र हैँ l
🔷 स्वाभिमान मासिक ई पत्रिका
[] संपादक: डॉ जसप्रीत कौर प्रीत
[] सह संपादक एवं साज सज्जा :नरेश कुमारआष्टा
[] आमुख कलाकृति : सिद्धेश्वर
[] संपर्क : swabhiman1313@gmail.com [] www.swabhimanpunjab.com. [] Facebook page स्वाभिमान ई पत्रिका। facebook group स्वाभिमान साहित्यिक मंच [] फोन संपर्क:
🔷 डॉ जसप्रीत कौर “प्रीत”: 83605 71113
🔶 नरेश कुमार आष्टा : 70094 46413
पत्रिका समीक्षा
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🇧🇼 सिद्धेश सदन ” किड्स कार्मेल स्कूल के बाएं, द्वारिकापुरी रोड नंबर 2, पोस्ट:बीएचसी, हनुमान नगर कंकड़बाग पटना 800026, मोबाइल 92347 60365
(Email :sidheshwarpoet.art@gmail.com)

One thought on “हृदय में अपना स्थान बनाने में पूरी तरह कामयाब है स्वाभिमान ई पत्रिका : सिद्धेश्वर”
  1. आदरणीय समीक्षक जी के द्वारा सुंदर समीक्षा की गई बहुत-बहुत धन्यवाद

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