हरविंदर कौर (डॉ.) समीक्षक

“जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि”
काव्यपंक्ति सचमुच किसी भी कवि के व्यक्तित्व की महानता को ब्यां करने के लिए पर्याप्त है। कवि अपनी कल्पना, भावों तथा कलम के माध्यम से कुछ भी व्यक्त करने में सक्षम होता है। डॉ. जसप्रीत कौर ‘प्रीत’ जी की चार काव्य पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
नज़्म संग्रह ‘इनायत’ डॉ. जसप्रीत कौर ‘प्रीत’ का पांचवा काव्य संग्रह हैं। अपने पुस्तक की शुरुआत कयवित्री उस परमपिता परमेश्वर के शुकराने से करती है। जहां वह कहती है
” कैसे ना करूं शुकराना रब का
उसने मुझसे कभी कुछ छुपाया नहीं
देने में उसने देरी तो की होगी
पर अंधेरा करके मुझे रुलाया नहीं ।”
कयवित्री के इस नज़्म संग्रह में प्रस्तुत नज्में जो ग़ज़ल के स्वरूप को आधार बनाकर लिखी गई हैं, जीवन के विस्तृत फ़लक को समेटे हुए हैं। उन्होंने अपनी इन नज़्मों में मोहब्बत और जुदाई के दर्द के साथ-साथ अन्य सामाजिक सरोकारों जैसे नेताओं पर व्यंग्य, औरत की विवशता, धार्मिक कट्टरता आदि की बात भी की है। इनकी बहुत सी नज्में मोहब्बत की पाकीज़गी की बात करते हुई मोहब्बत में एक होने की बात करती हैं ।
“तुम्हारे बिना क्या अस्तित्व है मेरा
मैं मोती और सीप हो तुम”
आज के दौर में रिश्तो का बिखराव एक आम बात हो गई है। मनुष्य के स्वार्थीपन तथा अहम ने रिश्तों की गर्माहट पर प्रश्न चिन्ह लगाए हैं परंतु कयवित्री रिश्तो को सहेज कर रखने के पक्ष में है, जहां वह इस बात पर बल देती है कि रिश्तो को बचाने के लिए अगर झुकना भी पड़े तो गुरेज़ नहीं करना चाहिए।
“रिश्तो की डोर को रखना पड़ता है सहेजकर
गलती मानने से कहाँ कब कोई छोटा हुआ “
लगभग प्रत्येक कवि ने ” माँ ” के रिश्ते की खूबसूरती तथा पवित्रता को अपने शब्दों में अवश्य बांध है। जसप्रीत कौर प्रीत भी अपनी बहुत सी नज़्मों में माँ की महानता की बात करती दिखाई पड़ती है।
” मां के आंचल तले होती है जन्नत
उसके साये में उम्र दराज भी बच्चा है।
माँ की महानता पर तो हमें बहुत अच्छी कविताएं, नज्में अक्सर पढ़ने-सुनने को मिल जाती हैं। वहीं ” पिता ” के प्यार तथा त्याग पर बहुत कम रचनाएं लिखी गई हैं। कयवित्री की ” पिता ” पर लिखी नज़्म बहुत ही भावुक तथा खूबसूरत बन पड़ी है।
” तारों में ढूंढा अक्सर पिता का चेहरा
मन करता है मिले तो गले लगाने को
बहुत कमाया उम्र भर मन आज भी चाहे
पिता की जेब से निकली चिल्लर खनखाने को “
हम लोग अक्सर पढ़े लिखे हो कर भी धर्म के कटघरों से बाहर नहीं निकल पाते, परन्तु जसप्रीत ने अपनी बहुत सी नज़्मों में धर्म से ऊपर उठकर जीने की बात की है, जहां वो स्वस्थ समाज का स्वपन देखती हुई कहती है
“जहाँ चले हरपल खुली सोच की हवा
एक ऐसा समाज संजोना चाहती हूं “
आज के इस मशीनरी दौर में जहाँ हर दूसरा शख्श तनाव का शिकार है, वही “प्रीत” का आशावादी स्वर निश्चित रूप से हिम्मत से जीने के लिए प्रेरित करता है।
” हार कर कुछ नहीं मिलता
जिंदादिली से जिया करो “
जिंदादिली से जीने की बात करने वाली जसप्रीत कहीं कहीं औरत की बेबसी को लेकर परेशान भी दिखाई पड़ती है।
” सहती हूँ यातनाएं, उपेक्षाएं, आलोचनाएं
कहाँ हर दर्द दिखा पाती हूँ “
अंत में मैं यही कहूंगी कहूंगी कि जब तक कोई भी रचना मन की अनुभूतियों के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों की बात नहीं करती, तब तक वह पाठकों के मन पर सीधा असर डालने में नाकामयाब रहती है । कवित्री में यह दोनों खूबियां देखने को मिलती हैं। उनके इस नजम संग्रह “इनायत” पाठकों द्वारा भरपूर स्वागत होगा, ऐसा मेरा विश्वास है तथा मैं परमात्मा से दुआ करती हूं कि उनकी क़लम का सफर यूं ही चलता रहे।

हरविंदर कौर (डॉ.)
वाइस प्रिंसिपल
खालसा कॉलेज
पटियाला पंजाब
मोबाइल न• 9855590711

पुस्तक – इनायत

विधा- नज़्म संग्रह

कवित्री – डॉ. जसप्रीत कौर “प्रीत”

📞8360571113

7 thoughts on “समीक्षा “इनायत””
  1. Jaspreet Kaur Preet jee se meri vishesh Preet hai. Un kee madad se mujhe bhee bahut se kavya sangraho me apni kavitay prakashit karne ka avasar mila. Ab to voh mujhe apna hissa hi lagne lagi hai.
    Meri ishwar se prarthna hai ki voh aakash ki bulandio ko chu le. Meri shubh kamnaye un ke sath hai.

  2. प्रीत जी नाम के अनुरूप ही हैं I ये उनके अथक प्रयासों का ही परिणाम है कि हम जैसे नए रचनाकारों को भी अपनी एक पहचान मिली I सदा उत्साहित किया है I साथ निभाया है I ईश्वर से यही प्रार्थना है कि आपका साथ यूँही बना रहे I आप के नाम को पूरे विश्व में पहचान मिले I e

    1. जसप्रीत जी एक बहुत ही मेहनती और नेक दिल इंसान हैं जो सदा सच्चे मन से सब की सहायता करती हैं l उनकी लिखी हर पुस्तक विशेष होती हैं
      सब को साथ लेकर चलने में वो विश्वास रखती हैं
      ईश्वर से यही प्रार्थना हैं उन्हें अपार सफलता मिले
      और वो सदा दूसरों का मार्ग दर्शन करती रहें l

  3. Naresh jee tatha Jaspreet jee ko yeh blog likhne kee website kee hardic badhai. Aap ke badhte charan hamesha aage badhte rahe. Dono kee mehnat aise hi rang lati rahe, meri ishwar se yahi prarthna hai.

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