रचनात्मक और आलोचनात्मक सोच कला और संगीत कौशल को विस्तार देती है l: सिद्धेश्वर
पटना 13/11/24 कला चाहे जिस भी क्षेत्र का हो, चित्रकला संगीत कला या फिर अन्य l यह प्रत्येक व्यक्ति के भीतर पाया जाता है l लेकिन चित्रकार या कलाकार बन जाना अनुवांशिक देन है l और यह प्रवृत्ति एक पीढ़ी से आगे की पीढ़ी तक चलते रहती है l लगातार अभ्यास से परिपक्व होती रहती है l रचनात्मक और आलोचनात्मक सोच कला और संगीत कौशल को विस्तार देती है l
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वधान में , फेसबुक के अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका के पेज पर ऑनलाइन हेलो फेसबुक कला एवं संगीत सम्मेलन का संचालन करते हुए संयोजक सिद्धेश्वर ने,उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया l उन्होंने विस्तार से कहा कि
प्रत्येक व्यक्ति के भीतर संगीत और कला के प्रति रुझान रहती है, इसलिए भी वे चित्रकार या कलाकार या संगीतकार न होते हुए भी, इन कलाओं के प्रति आकर्षित रहते हैं l यह कहा भी गया है कि कला और संगीत एक अच्छी शिक्षा का अभिन्न अंग हैं और बच्चों के समग्र विकास में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रचनात्मक और आलोचनात्मक सोच इस तरह के कौशल में सुधार से लेकर भावनात्मक बुद्धिमत्ता को बढ़ावा देने तक, कला और संगीत शिक्षा के कई और दूरगामी लाभ हैं।
हेलो फेसबुक चित्रकला सम्मेलन में जिन कलाकारों की कलाकृतियां अधिकांश लोगों द्वारा पसंद की गई, उन में प्रमुख हैँ, विज्ञान व्रत, डॉ पूनम श्रेयसी डॉ सुधा पांडे सिद्धेश्वर, दिव्या श्री, डॉ कृष्णमणि श्री मैसूर कर्नाटक, निर्मल कर्ण,प्रियदर्शनी आदि l राज प्रिया रानी की कलाकृति भी अत्यंत आकर्षक का केंद्र बनी रही l सिद्धेश्वर की लिखी गजल को संगीतमय प्रस्तुति दिया नरेश कुमार आस्टा ने l ऋतु मिश्रा ने भजन गाकर श्रोताओं का मन मोह कर लिया l
विश्व विख्यात लोक गायिका शारदा सिन्हा की स्मृति में आयोजित इस हेलो फेसबुक संगीत एवं कला सम्मेलन का अवलोकन करते हुए मुरारी मधुकर ने कहा कि लोक गायकी की नींव को मजबूत करने वाले पूर्वी गीतों के प्रणेता महेंद्र सिंह की परंपरा को आगे बढ़ाने वाली होनहार शिष्या थी शारदा सिन्हा, जिन्होंने देश ही नहीं विदेश में भी अपनी अलग पहचान बनाई है l इस अवसर पर अनीता मिश्रा सिद्धि ने अपनी लिखी छठ गीत को अपनी आवाज में प्रस्तुत किया l सदाबहार गीत पर अभिनय करने वालों में डॉ पूनम श्रेयसी, दीनानाथ गुप्ता, राज प्रिया रानी और सिद्धेश्वर ने जबरदस्त प्रस्तुति दिया l
इस कार्यक्रम के आरंभ में चित्रकला प्रदर्शनी के तहत पांच कलाकारों की लगभग 100 कलाकृतियों को,, संयोजक सिद्धेश्वर के द्वारा ऑनलाइन प्रस्तुत किया गया l इसके बाद मुख्य अतिथि युवा कलाकार एवं लेखिका राज प्रिया रानी से एक छोटी सी भेंट वार्ता लिया सिद्धेश्वर ने l राज प्रिया रानी ने जवाब में कहा कि मेरे घर के अधिकांश सदस्य चित्रकला के प्रति गंभीर रुचि रखते हैं l संभवत इस कारण भी मैं चित्रकला के प्रति रूहानी हुई , और मैं बचपन से ही चित्र बनाने लगी l साहित्य से जुड़ने के बाद, वह गति थोड़ी ढीली पड़ गई l लेकिन आपकी प्रेरणा से मैं पूरा चित्र बनाने लगी हूं और पुराने फिल्मी गीतों पर अभिनय भी करने लगी हूँ l सच पूछे तो नई प्रतिभाओं के आप भीष्म पितामह हैँ l कहा जाता है कि आघात एक जटिल मनोवैज्ञानिक स्थिति है जिसका किसी व्यक्ति के मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य पर स्थायी प्रभाव पड़ सकता है। जबकि पारंपरिक उपचारों के अपने गुण हैं, आघात को ठीक करने में कला और संगीत की भूमिका को तेजी से रिकवरी करता है l कला और संगीत शिक्षा बच्चों के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है, जिससे उनके संज्ञानात्मक कौशल, भावनात्मक बुद्धिमत्ता, सामाजिक योग्यता और सांस्कृतिक जागरूकता आती है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ कवयित्री एवं कलाकार सुधा पांडे ने कहा कि नए पुराने उपेक्षित रचनाकारों कलाकारों को सिद्धेश्वर की जो मंच दे रहे हैं, इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है l राज प्रिया रानी जी थी जो खुद साहित्यकार हैं ।गाने पर अभिनय भी किया करती हैं ।और उनकी पहली चित्रकला भी अत्यंत मोहन रहा l हम लोगों के साथ संयोजक सिद्धेश्वर सर भी मौजूद थे।जिनकी तारीफ़ हमारे बस की बात नहीं है । चित्रकला में सिद्धेश्वर जी,पूनम श्रेयसी और मेरे द्वारा बनायी -कुछ चित्र भी शामिल हुए l14 वर्षीय जलज नचिकेत की कलाकृति भी शामिल की गई l
बहुत ही अच्छा कार्यक्रम रहा ।इस तरह बीच बीच में कार्यक्रम होते रहना चाहिए ।छोटे कलाकारों को भी मंच मिलता रहे।
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[] प्रस्तुति : बीना गुप्ता [ जनसंपर्क अधिकारी : भारतीय युवा साहित्यकार परिषद, ]पटना! मोबाइल : 9234 760365 [